Mutual fund diversification का क्या मतलब होता है ?|what is Investment diversification in Hindi .

Mutual fund diversification क्या होता है? Mutual fund Diversification ( Method )कैसे करें ? अलग-अलग सेक्टर में Diversification strategy ? Mutual fund  Diversification के लिए Stock Holding कैसे करें ?Mutual fund  Diversification के लाभ , Mutual fund Over Diversification क्या है ,तथा इसके क्या नुकसान  है ?

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निवेश के लिए आजकल हमारे पास बहुत से विकल्प होते हैं ।जैसे स्टॉक ,म्यूच्यूअल फंड ,सोना, सावधि जमा और रियल एस्टेट भी ।यदि हम लॉन्ग टर्म में अपने धन को निवेश करना चाहते हैं, तो आजकल म्यूच्यूअल फंड लोगों की पसंद बना हुआ है। 

आईये संक्षिप्त में आपको म्यूचल फंड के बारे में जानकारी देते हैं।

म्यूचुअल फंड में बहुत से लोगों के पैसे को इकट्ठा करके एक ही फंड में निवेश करने का तरीका होता है। एक मैनेजर जो इस फंड की देखरेख करता है, वह इन पैसों को बॉन्ड या शेयर मार्केट में निवेश कर देता है। और निवेशकों को पैसों के बदले यूनिट दे दिए जाते हैं। इससे निवेशकों को लाभ भी मिलता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि UTI AMC नामक कंपनी भारत की सर्वाधिक पुरानी म्युचुअल फंड कंपनी है।

हमारे इस लेख में हम आपको बताएंगे, कि म्यूचुअल फंड डायवर्सिफिकेशन का क्या मतलब होता है? म्यूच्यूअल फंड डायवर्सिफिकेशन का करने का सही तरीका क्या है ?इसके फायदे क्या है? और म्यूचुअल फंड डायवर्सिफिकेशन के नुकसान क्या है? तो आइए चलते हैं अपने इस सफर की ओर।

Mutual fund Diversification क्या होता है?

अपने कमाई को निवेश करने का एक ही कारण होता है की उससे अच्छा रिटर्न समय के साथ प्रपट करना हो |आपके पूरे निवेश के portfolio मे रिटर्न के लिए diversification का एक बहुत बड़ा योगदान होता है | इसको साधारण भाषा में यह समझ सकते हैं कि आप अपने पैसों को निवेश करने का सोच रहे हैं, तो आप इसे अलग-अलग भागों में बांट कर ही निवेश करें। इसे investment diversification कहते है | जब इसी प्रक्रिया को म्यूचुअल फंड मे अपनाते है तो इसे Mutual fund diversification कहते हैं। 

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मतलब आप अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो का सही तरीके से डायवर्सिफाइड करने की कोशिश करें, जिससे कि आप एक मजबूत पोर्टफोलियो बना पाए।

म्यूचुअल फंड में सही तरीके से डायवर्सिफिकेशन के साथ यदि आप निवेश करते हैं ,तो आप अपने सभी फाइनैंशल लक्ष्यों को पूरा करने में सफल हो सकते हैं।

कह सकते हैं कि पोर्टफोलियो रिस्क को मैनेज करने में डायवर्सिफिकेशन का महत्वपूर्ण योगदान होता है ।आप अपने पोर्टफोलियो से बेहतरीन लाभ कमाना चाहते हैं, तो एक बैलेंस पोर्टफोलियो होना बेहद जरूरी है। 

पोर्टफोलियो की रिस्क को बैलेंस करने का बहुत असरदार तरीका इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन है।

निवेशक को होने वाले नुकसान की रिस्क को यह कम करता है ।अपने रुपयों को कुछ अलग -अलग भागों में कर अलग- अलग ऐसेट में निवेश करना ही डायवर्सिफिकेशन कहलाता है।

समझदारी पर दूरदर्शिता से किया गया डायवर्सिफिकेशन आपके इन्वेस्टमेंट की रिस्क को कम करता है बगैर सोच समझकर किया गया डायवर्सिफिकेशन आपके लिए फायदेमंद नहीं होगा। 

इसको एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं कि जैसे क्रिकेट भारतीयों का पसंदीदा खेल है। तो आइए इसी के उदाहरण से म्यूच्यूअल फंड डायवर्सिफिकेशन को समझते हैं। जैसे एक क्रिकेट टीम में फास्ट बॉलर, अलग अलग तरीके से खेलने वाले बैट्समैन, ऑफ स्पिनर, लेग स्पिनर और ऑल राउंडर्स है। 

इतनी तरह की विशेषताएं जब एक ही टीम में है, तो ऐसी टीम अलग-अलग पिच और मौसम में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकती है। इसी प्रकार म्यूच्यूअल फंड डायवर्सिफिकेशन के पीछे अलग-अलग सेक्टर्स में पैसे लगाना और इस स्कीम का निरंतर बेहतर प्रदर्शन ही मकसद होना चाहिए ,जिससे आप अधिक से अधिक लाभ कमा सकें।

साथ में यह भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है, कि जरूरत से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन से अतिरिक्त लाभ नहीं कमाया जा सकता है।

अंत में से यूं समझते हैं, कि अचल संपत्ति, सोना, ईटीएफ ,वांड,म्यूचुअल फंड में किसी एक में निवेश ना करके इनमें से कुछ में व्यवस्थित तरीके से निवेश करें ।व अपने पोर्टफोलियो की जोखिम को कम करें।

चलिए आगे बात करते हैं कि डायवर्सिफिकेशन को हमें किस तरीके से करना चाहिए जिससे हमें ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

Mutual fund Diversification ( Method )कैसे करें ?

Mutual fund Diversification के लिए Mutual fund Diversification Method का उपयोग करते हुये इसका निर्धारण करना चाहिए क्योकि इस का तरीका एक दूसरे से अलग हो सकता है, क्योंकि यह हर इंसान की जोखिम उठाने की क्षमता उम्र पर निर्भर करता है ।व सबसे महत्वपूर्ण बात यह है ,कि आप कितना जोखिम उठा सकने के लिए तैयार है। 

आपको अपने निवेश से कितने समय में लाभ की उम्मीद है ।इन बातों का ध्यान रखते हुए तथा अच्छी तरह से रिसर्च करने के बाद ही आप म्यूच्यूअल फंड में डायवर्सिफिकेशन के साथ निवेश करें, तो आपका एक शानदार पोर्टफोलियो बन सकता है। प्रत्येक व्यक्ति की जरूरत सोच के आधार पर उसके पोर्टफोलियो में अंतर होना स्वाभाविक है।

हमारी आपको एक सलाह है, कि सारा निवेश एक ही जगह नहीं लगाना चाहिए बहुत से लोग बिना ज्यादा विचार किए एक जगह ही किसी भी एक शेयर या फ्यूचर फंड में अपना पैसा लगा देते हैं ऐसा करना सही नहीं होता यदि आप अलग-अलग ऐसे में अपना पैसा लगाते हैं तो आपका पैसा ज्यादा सुरक्षित रहता है क्योंकि प्रत्येक एसेट की एक अलग क्वालिटी होती है तथा इसके चलते उसका रिटर्न का पैटर्न भी अलग होता है।

आपको अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी, फाइनेंस ,सोना ,रियल एस्टेट व अन्य प्रचलित दूसरी कमोडिटीज का सही संतुलन बनाना अवश्य सीखना चाहिए निवेशक को अच्छी स्थिति में रखने के लिए वोलैटिलिटी को कम रहना चाहिए म्यूचल फंड में निवेश डायवर्सिफिकेशन एक बहुत अच्छा तरीका है ।

यह काफी पारदर्शिता लिए हुए होता है ।म्यूचुअल फंड में बहुत से विकल्प होते हैं ।इनमें विकल्पो की अच्छी तरह स्टडी करके एक शानदार पोर्टफोलियो बनाया जा सकना   संभव है।

अलग-अलग सेक्टर में Diversification strategy क्या  होती है ?

अलग-अलग सेक्टर में Diversification strategy  की रणनीति कारगर है ।  Diversification strategy के लिए फाइनेंसियल सर्विस, रियल एस्टेट, हेल्थ केयर ,एनर्जी, इंडस्ट्रियल तथा अलग अलग सेक्टर में आप निवेश कर सकते हैं ।

यदि आप एक ही इंडस्ट्री में अपना रुपया लगाते हैं तो आप  Diversification strategy एवं उससे लाभ कमाने से वंचित रह जाएंगे ‌।यह बात भी हमें भूलनी ही नहीं चाहिए कि डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होने के बावजूद निवेशक को जोखिम का खतरा सदैव बना रहता है।

डायवर्सिफिकेशन निवेशक की उम्र, रिस्क लेने की क्षमता व लाभ की उम्मीद पर डिपेंड करती है।

जैसे किसी नौजवान निवेशक को इक्विटी इसकी मैं अपना पोर्टफोलियो का 80% और डेप्ट में 20% का निवेश किया इक्विटी स्कीम में 80% में से एक ही जगह पूरा पैसा लगाने की बजाए उसे अपने रिटर्न उम्मीद के अनुसार स्मॉल कैप, मिड कैप, फॉर लार्ज कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगाना चाहिए। 

समय-समय पर अपने एसेट में फेरबदल का अनुपात निवेशक की उम्र वर चाहत में बदलाव के साथ बदलते रहना जरूरी है।

ये भी पढे –

Mutual fund मे asset allocation क्या होता है ,जाने इसके फायदे और नुकसान के बारे मे |What is importance of asset allocation mutual fund in Hindi .

Mutual fund  Diversification के लिए Stock Holding कैसे करें ?

अगर आप Mutual fund  Diversification को अच्छी तरह करना चाहते है तो आपको अपनी Stock Holding पर बहुत ज्यादा ध्यान देना जरूरी है ।ऐसा करने के लिए  एक जैसी Stock में एक साथ पैसा निवेश ना करें ।

क्योंकि एक जैसी स्कीम में उनका एक जैसा पैटर्न आपके डायवर्सिफिकेशन लाइन की मजबूती को कम करता है। क्योंकि मार्केट वाले टाइल होने पर यह आपको एक जैसा रिएक्शन देंगी।

यदि आप अलग अलग Stock Holding वाली स्कीम में निवेश करते हैं, तो आपको बेहतर डायवर्सिफिकेशन का लाभ मिल सकता है।

एक ही फंड मैनेजर के माध्यम से आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का जोखिम रिकॉर्ड बना रहता है। जबकि अलग-अलग AMCs वह फंड मैनेजर्स के माध्यम से आप अपने निवेश को अलग अलग करके उनके रिटर्न को बेहतर ढंग से एवरेज निकालने में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे।

इसके अलावा आपको अलग-अलग टाइम होराइजन में भी डायवर्सिफिकेशन करना चाहिए । अलग टाइम होराइजन  वाली स्कीम्स में निवेश कर रिस्क को अधिक अच्छे तरीके से एवरेज आउट करने में मदद मिलती है।

यदि आप अलग-अलग म्यूच्यूअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं तो बेंच मार्क से जुड़ा रिस्क भी अलग अलग होगा। क्योंकि यदि एक ही बेंच मार्क होगा तो रिस्क भी एक सा वह उसका परफॉर्मेंस भी एक सा होगा।

अलग-अलग बेंचमार्क CNX50,BSE100 आदि है। यह बात आप सदैव ध्यान रखें कि डायवर्सिफिकेशन एक निरंतर करने वाली क्रिया है इसको आप एक बार करके भूल नहीं सकते।

यदि आप नए हैं और आप इस डायवर्सिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरी तरह नहीं समझ पा रहे हैं, तो आपके लिए एक शर्ट इफाई इन्वेस्टमेंट विशेषज्ञ की सलाह लेना ही बेहतर होगा।

बहुत से नए निवेशकों को यह लग सकता है कि डायवर्सिफिकेशन केवल एक से अधिक एसेट में निवेश करना है। और अपनी इस सोच के चलते ही वह बहुत सारे प्रोडक्ट स्कीम में निवेश कर बैठते हैं ।लेकिन ऐसा करना ओवर डायवर्सिफिकेशन कहलाता है ।ऐसा करने से पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पर्यटन क्षमता दोनों पर ही खराब असर पड़ता है।

हमने आपको डायवर्सिफिकेशन क्या होता है ?इसके क्या तरीके है? इसकी होल्डिंग पावर कैसी होनी चाहिए ?इन सब पर विस्तारपूर्वक समझाया है ।अब हम डायवर्सिफिकेशन से होने वाले लाभ के बारे में चर्चा करेंगे।

Mutual fund  Diversification के क्या लाभ है ?

अपनी निवेश से अच्छा एवं सही रिटर्न पाने के लिए diversification  का होना बहुत जरूरी है ,ये तो अपने अच्छी तरह से जन लिया है ,इसके और भी कई फायदे है जो नीचे दी जा रही है –

  • डायवर्सिफिकेशन उन लोगों के लिए बहुत लाभदायक है जो निवेश करके ज्यादा जोखिम उठाने को तैयार नहीं होते हैं वह केवल उभरते शेयरों से उच्च रिटर्न के एक किक चाहते हैं।
  • यह कहना गलत नहीं होगा कि डायवर्सिफिकेशन आपके निवेश के जोखिम को काफी हद तक कम कर देता है।
  • यह लंबी अवधि के लिए आपके रिटर्न को भी बढ़ाता है।
  • उदाहरण से डायवर्सिफिकेशन से होने वाले लाभ की प्रक्रिया को समझते हैं, कि घोड़े की रेस में दाव सिर्फ एक घोड़े पर नहीं लगाते, दूसरे घरों पर भी लगाते हैं। जिससे यदि एक घोड़ा हार जाता है तो दूसरा घोड़ा जीत का उस हार की भरपाई को पूरा कर सकता है।
  • आप को मिलने वाला लाभ आपकी जोखिम उठाने की क्षमता पर भी निर्भर करता है।
  • डायवर्सिफिकेशन से आपातकालीन अस्थिरता से सुरक्षित रहते हैं।
  • डायवर्सिफिकेशन का एक लाभ यह भी है कि यह निवेशक के रूप में आपके कौशल में वृद्धि करता है।
  • यह आप के बढ़ते हुए लाभ आपको बेहतर आईडियाज की तरफ आकर्षित करेंगे।

डायवर्सिफिकेशन के लाभ को जानने के बाद आइए अब चर्चा करते हैं डायवर्सिफिकेशन से होने वाले कुछ नुकसानो की।

Mutual fund Over Diversification क्या है तथा इसके क्या नुकसान  है ?

म्यूचुअल फंड मे diversification जरूरी है पर इसकी भी सीमा है |अगर आपके portfolio मे जरूरत से ज्यादा बिखराव है  तो इसे over diversification कहा जाता है | अपने mutual fund diversification के लिए अपने लक्षय और टाइम हेराइजन यानि कितना समय तक आपको निवेश करने पर लक्षय की प्राप्ति हो जाएगी ,इन दो बातों का ध्यान रखने के साथ निवेश के सेक्टर पर भी ध्यान रखना जरूरी है |

अगर आप ऐसा नहीं  कर पाते  है तो ,आपको निवेश के रिटर्न पर इसका उल्टा प्रभाव पड़ेगा | और इससे आपको अपने पोर्टफोलियो मे नुकसान दिखेगा –

  •  म्यूच्यूअल फंड का बाजार ही जोखिम भरा है, इसमें आपने बिना जानकारी के कई फंड तथा सेक्टर मे निवेश कर दिया तो नुकसान की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती हैं।
  • overdiversification से अगर सभी फंड अच्छा रिटर्न दे तो भी लाभ सामनी होता है |
  • लार्ज कैप कंपनी में जरूरत से ज्यादा किए गए निवेश में वृद्धि की संभावना बहुत ही कम होती है।
  • इस पर नजर रखने तथा प्रबंधन मे परेशानी होती है |
  • कई अलग-अलग होल्डिंग्स की खरीद बिक्री पर अधिक लेनदेन शुल्क व ब्रोकरेज भी बहुत लग जाता है।

निष्कर्ष-

हमारे इस लेख में हमने Diversification के साथ Over Diversification के हर पहलू पर आपकी नजर डालने की कोशिश की है। हमने यह जानकारी आपको एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी है। यह आप सभी जानते हैं ,कि यह म्यूच्यूअल फंड का बाजार जोखिमों के आधीन है। इसलिए किसी भी प्रकार के निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह व स्वयं की स्थिति को जरूर देखें ।यह लेख हमने सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा है। इसे आप निवेश से जुड़ी सलाह ना माने।

आपने हमारी इस पोस्ट को अंत तक पढ़ा इसके लिए आपका आभार।

यदि आप म्यूच्यूअल फंड से जुड़ी हुई कोई भी और खबर हम से जानना चाहते हैं, तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें जरूर अवगत कराएं।

ज्यादा पुछे जाने वाले प्रश्न –

Diversification क्या होता है ?

निवेश को अलग अलग तरह से अलग अलग जगह पर लगाना ही diversification होता है |

क्या diversification किस आधार पर करनी चाहिए ?

diversification को लक्षय ,समय ,एसेट सेक्टर के आधार पर करनी चाहिए |

Diversification क्यो किया जाता है ?

इसको करने से रिस्क कम तथा रिटर्न ज्यादा होता है |

Over diversification क्या होता है ?

आवश्यकता से ज्यादा diversification को ही overdiversificstion कहा जाता है |

Over diversification का पहला नुकसान क्या होता है ?

portfolio के लिए expense ratio (charges ) ज्यादा हो जाता है |

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